उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
श्री राजगोपाल को पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की प्रेरणा, उनकी आजीवन प्रतिबद्धता और अहिंसक सक्रियता के गांधीवादी सिद्धांतों के आधार पर भारत में सबसे गरीब और हाशिए पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के लिए काम करने से ली गई है।
निवानो शांति पुरस्कार समिति ने भारतीय अहिंसक सामाजिक कार्यकर्ता राजगोपाल पी.वी. के न्याय और शांति की सेवा में, उनके असाधारण कार्य के लिए उन्हें 40वें निवानो शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में नामित किया है।
बुधवार, 15 फरवरी को नामांकन की घोषणा समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग की अवर सचिव फ्लामिनिया जोवानेली ने गई, जो पुरस्कार समिति की सदस्य हैं।
अपने एक बयान में जोवानेली ने लिखा है, कि “श्री राजगोपाल के कार्य अपने देश के सबसे गरीब और हाशिये पर जीवनयापन करनेवालों के हित में है, जिसको उन्होंने शांतिपूर्ण एवं अहिंसक तरीके से पूरा किया है तथा उनका संघर्ष जाति या लिंग के परे, सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए समान मानवीय गरिमा और समान अधिकारों की मान्यता के लिए, महान प्रशंसा को प्रेरित करता है।”
युवाओं को शांति और अहिंसा की शिक्षा देना
बयान में कहा गया है कि उनके विशेष कार्य जिनके लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है, वे हैं, गिरोहों के आत्मसमर्पण पर बातचीत करना, उनके लिए पुनर्वास की सुविधा देने पर काम करना, गरीबों की सेवा के लिए युवाओं को शिक्षा देना और गरीबों की मौलिक आवश्यकताओं जैसे जल, जंगल और जमीन के प्रति चेतना जगाना एवं पर्यावरण की देखभाल करना आदि। न्याय के लिए कार्य करते हुए उन्होंने वार्ता द्वारा भूमि हड़पने की घटना का प्रतिकार करने, उसे उचित भूमि सुधार प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करने, भूमि के पुनः वितरण और भूमि के स्वामित्व का आवंटन करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
शांति और सामाजिक न्याय के कार्यकर्ता
गांधी परिवार से केरल में 1948 में जन्में राजगोपाल ने अहिंसक सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने हुए खुद को समर्पित करना 1970 के दशक में शुरू किया। जब वे मध्यप्रदेश के चंबल जिला गये। वहाँ उन्होंने लोगों पर हो रही हिंसा, अन्याय और अनुचित पीड़ा को देखा, जिसके परिणामस्वरूप गिरोहों (“डकैतों”) का विकास हुआ। अन्य वरिष्ठ गांधीवादी नेताओं के साथ, वे एक शांतिदूत बन गये, जिन्होंने डकैतों के आत्मसमर्पण के लिए काम किया और यहां तक कि उनके लिए पुनर्वास स्थापित करने का भी प्रयास किया।
इस साहसी पहल ने 1980 के दशक में और एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रशस्त किया: सामाजिक परिवर्तन के लिए अहिंसक कार्रवाई की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय युवा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संगठन।
न्याय और शांति के लिए श्री राजगोपाल की प्रतिबद्धता एकता परिषद (यूनिटी फ़ोरम) की स्थापना में परिणित हुई, जो हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के समुदायों के लिए भूमि और आजीविका के अधिकारों को सुरक्षित करने हेतु अहिंसक सक्रियता के मिशन के लिए संगठित है।
एकता मंच के द्वारा श्री राजगोपाल की सामाजिक सक्रियता ने हजारों लोगों की भागीदारी के साथ सफल भूमि अधिकार मार्च के माध्यम से एक बड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दृश्यता प्राप्त की है।
एक वार्ता के व्यक्ति
श्री राजगोपाल की अहिंसक सामाजिक कार्रवाई ने उन्हें संस्थानों के साथ संवाद करनेवाले व्यक्ति के रूप में भी प्रेरित किया है, आधिकारिक पद संभाले हुए उदाहरण के लिए बंधुआ श्रम पर सर्वोच्च न्यायालय के जांच आयुक्त के रूप में और भूमि सुधार के लिए राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में भी।
पुरस्कार समिति के अनुसार, “श्री राजगोपाल की सक्रियता का अंतर-धार्मिक सार धर्म के भेद के बिना, अपने अधिकारों के लिए अहिंसक विरोध में एकजुट होकर, गरीबों को एक साथ लाने में है”।
अपनी टिप्पणियों में, निवानो शांति पुरस्कार समिति के अन्य सदस्य, जिसमें वर्तमान में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से नौ धार्मिक नेता शामिल हैं, उन्होंने ध्यान दिया कि आध्यात्मिक अभ्यास पर आधारित शांति और न्याय के लिए उनकी सक्रियता युवाओं पर केंद्रित है जो दुनिया के नेता हैं। जो कई संकटों और संघर्षों से चिह्नित, आज की दुनिया की वर्तमान हिंसक प्रकृति को बदल सकते हैं।
श्री राजगोपाल पी.वी. गुरुवार, 11 मई, 2023 को जापान के टोक्यो, में एक प्रस्तुति समारोह के दौरान पुरस्कार प्राप्त करेंगे। जिसमें उन्हें एक पुरस्कार प्रमाण पत्र के अलावा, एक पदक और बीस मिलियन येन प्राप्त होगा।
निवानो पीस फाउंडेशन
निवानो पीस फाउंडेशन को 1978 में विश्व शांति की प्राप्ति और शांति की संस्कृति को बढ़ाने, धार्मिक सिद्धांतों की भावना के आधार पर अनुसंधान और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने और शिक्षा, विज्ञान, धर्म एवं दर्शन के क्षेत्रों में शांति के लिए कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था।
इससे पहले इस पुरस्कार के विजेता रहे हैं, लूथरन बिशप डॉ. मुनीब ए. युनान, दिवंगत ब्राजीलियाई कार्डिनल पाउलो एवरिस्टो अर्न्स, एंग्लिकन मिशनरी पुरोहित और रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता माइकल लैपस्ली और संत इजिदियो समुदाय।